बलिया : कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष एकादशी 12 नवंबर यानि मंगलवार आज है इस दिन तुलसी विवाह की भी परंपरा प्राचीन समय से है। हिंदू धर्म में कार्तिक महीने का विशेष महत्व है। वैसे तो इस महीने का प्रत्येक दिन अपनी विशेषताओं के लिए खुद में समेटे हुए हैं इसे तीज त्योहारों के प्रतीक माह के रूप में मनाया जाता है वैज्ञानिक दृष्टि से इस माह का प्रत्येक दिन धार्मिक व शारीरिक समृद्धि के लिए लोक कल्याणकारी है।
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी से प्रारंभ होने वाला श्री हरि का चातुर्मासी योग निद्रा कॉल कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पूर्ण हो जाता है ।संपूर्ण जगत के पालनहार समस्त समेत समस्त देव शक्तियों को उठो देवा ,बैठो देवा अंगुरिया चटकाओ देवा की मनुहार के साथ जगाते हैं । श्री हरि को अंगुरिया चटकाने औ अंगड़ाई लेकर उठने की इस प्रार्थना के पीछे यह दिव्या अध्यात्मिक संदेश निहित है कि सूर्य नारायण की दिशा परिवर्तन के साथ वर्षाकाल की प्रसूति व आलस्य की अवधि बीत चुकी होती है । देव शक्तियों पुनः जागृत होकर धरती वासियों पर अनुदान व वरदान बांटने को तत्पर है श्री हरि विष्णु के शयन के कारण चातुर्मास काल में विवाह आदि मांगलिक कार्यों की आयोजन निषेध हो गए थे। वे देवोत्थान एकादशी से शुरू हो जाते हैं।
तुलसी हमारी आस्था एवं श्रद्धा के प्रतीक है एवं अपरिमित औषधि गुणो से से युक्त है ।वर्ष भर तुलसी में जल अर्पित करना एवं सायंकाल तुलसी में जल अर्पित करना व दीपक जलाना अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है। इस महीने तुलसी के पास दीपक जलाने से व्यक्ति के ऊपर साक्षात लक्ष्मी की कृपा हो जाती है, क्योंकि तुलसी में साक्षात लक्ष्मी का निवास माना जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार गुणवती नामक स्त्री ने कार्तिक महीने में मंदिर के द्वार पर तुलसी की सुंदर सी वाटिका लगाई उस पुन्य के चलते वह अगले जन्म में सत्य भामा बनी और सदैव कार्तिक महीने का व्रत करने के चलते वह भगवान श्री कृष्ण की पत्नी बनी। इस महीने में तुलसी विवाह की परंपरा एकादशी को है। इसमें तुलसी के पौधों को सजाया एवं संवारा जाता है एवं भगवान शालिग्राम का पूजन किया जाता है। साथ ही तुलसी का विधिवत विवाह किया जाता है, जो व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में सदैव शुभ कर्म हो, सदैव सुख शांति का निवास हो, उसे तुलसी की आराधना अवश्य ही करना चाहिए।
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जिस घर में शुभ कर्म होते हैं, वहां तुलसी हरी भरी रहती है। जहां घर में अशुभ कर्म होते हैं, वहां तुलसी सूख जाती है। हरी प्रिया तुलसी के माध्यम से विश्व के संचालक, सत्ता का आहवान, आरोग्य एवं पर्यावरण शुद्धि के प्रति अद्वितीय समर्पण भाव ने तुलसी को देव औषधि का स्थान दिया है।